GURU!!!
"For the teacher who taught us the real aspects of life along with the subject concerned!!!we miss you sir...we really miss you...we wish that you come back to our college..."
एक राज़ था हम सबके दिल में,
एक साज़ है हम सबके मन में।...
ग़ुम थे हम हर दम रात के अंधेरों में,
सपने थे देखे हमने उन ग़ुमराह सवेरों में।...
न तो हम हँसते थे न रोते थे,
ख़्वाब ऊंचाइयों के , ख़्वाब ख़ुशियों के संजोकर सदा सोते थे।...
ख़्वाबों की भी शर्तें थीं कई,
हमारे सामने भी थी दिक्कत इक नयी।...
वो कहते थे , ख़्वाब कहता थे - "कर ले बेटा महनत अच्छी ,
वरना हम सच होंगे नहीं।..."
भटके तन्हा दर - दर हम,
बैठे थे अब बेघर हम।...
न साथ कोई , न था अब कोई सहारा,
न ख़ुशी और न ख़्वाब ऊंचाई का , अब रह गया हमारा।...
हाथ जो थामा उनने जो आकर,
कहते थे - "तू चिंता न कर।...
ख़्वाब जो टूटे संजो ले सारे,
मोती जो बिखरे , पिरो ले सारे।..."
"तू चलता जा साथ हूँ मैं तेरे,
तू गिरता है , मैं थामूंगा हाथों को तेरे।...
तू चलता जा उस अँधेरे में ,मेरा तेज़ तेरे साथ चलेगा।
तू डरना मत उन काँटों के घेरे में , मेरा फ़ूल हर राह में खिलेगा।..."
वो चलते थे तो छाती थी रौनक,
उनका चेहरा था हर दम मन मोहक।...
वादा हम मिलकर करते हैं , न भूलेंगे कभी उनके एहसान को।
मेहकायेंगे उनके उस प्यारे और सुनहरे से नाम को।...
निभाया जिन्होंने बखूबी इन शब्दों को -
"गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णु: गुरूदेवो महेश्वरः।
गुरू: साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरूवेनामः ।।"
फिर जब वो हमारा साथ छोड़ कर जा रहे हैं,
तो दिल से निकले कुछ अलफ़ाज़ ऐसे हैं -
"पलकों पे नमी न चाही थी कभी,
उस ख़ुदा से ख़ुद की ख़ुशी न मांगी थी कभी।...
की तो बस इक ख़्वाहिश इतनी सी,
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