क्या हुआ तेरा वादा।
क्या हुआ तेरे उस वादे का,
कि तू जल्द ही लौट आएगी।
क्या हुआ तेरे उस वादे का,
तू मेरी बनके रह जाएगी।...
क्यों कहती थी तू मुझसे,
कि तू मेरी है बस मेरी है।
क्यों कहती थी तू मुझसे,
कि बस कुछ लम्हों की ही देरी है।...
क्यों कहती थी तू मुझसे,
हम तुम फिर मिल जाएंगे,
दो तनहा दिल मिल जाएंगे।...
ख़ुदा भी सर झुकाएगा,
जब मोहब्बत की रहमत से,
दो सूखे फूल खिल जाएँगे।...
धुप में भी होगी छाया,
जैसे पतझड़ में सावन आया।...
पर ये सब एक झूठा सपना था,
तेरा इंतज़ार मैं आज भी करता हूँ,
जिरती साँसों को भी गिनता हूँ।...
तू आएगी मुझसे मिलने,
तू आएगी मेरी बनने,
एक खाली दिल लेके हूँ बैठा,
तू आजा रहने इस दिल में।...
- आर्यन " पथिक "
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